शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर में आज दिनांक 26 /02/2019 को प्राचार्य डॉ. योगेश शिवहरे के मार्गदर्शन में बाल अधिकार संरक्षण आयोग छत्तीसगढ़ द्वारा ''बाल अधिकारों के संरक्षण के परिप्रेक्ष्य में बच्चों के मानसिक विकास पर शिक्षकों का प्रभाव" के संबंध में उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई । इस कार्यशाला में बाल अधिकार संरक्षण आयोग छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे, सचिव श्री प्रतीक खरे , सदस्य सुश्री टी.आर. श्यामा ,श्री अरविंद जैन तथा संस्था के प्र. प्राचार्य श्री पी. सी. राव एवं सभी अकादमिक सदस्य उपस्थित थे ।इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को बच्चों के अधिकारों को बताना , बच्चों के प्रति संवेदनशील बनाना,तथा इसमें स्वयं की भुमिका से अवगत कराना था । प्र. प्राचार्य श्री राव ने महाविद्यालय में चल रहे गतिविधियों से अवगत कराया। सुश्री टी.आर. श्यामा ने कहा कि बच्चों के मन में शिक्षकों की अमिट छाप रहती है, वहीं पर श्री अरविंद जैन ने आदि से वर्तमान तक शिक्षकों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा की गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय। श्री प्रतिक खरे ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग की आवश्यकता एवं महत्व पर विस्तृत जानकारी दिए। आज शिक्षक को शिक्षक एवं पालक दोनों की भूमिका निभाने की आवश्यकता है, क्योंकि बच्चे बहुत मासूम होते हैं और वे सबसे अधिक शिक्षक पर ही विश्वास करते हैं। बचपन के अनुभव बड़े होने पर व्यक्तित्व पर बहुत गहराई से असर करते हैं अतः भविष्य के अच्छे नागरिक बनाने के लिए हम बच्चों को बेहतरीन ढंग से गढ़े। बच्चे 80% अवलोकन से सीखते हैं। तथा 20% सिखाने से सीखते हैं, अतः शिक्षकों को वही करना चाहिए जो वे बच्चों को सिखाना चाहते हैं। शिक्षकों को स्वयं में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। जब 20 नवंबर 1989 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बाल अधिकार संरक्षण पारित हुआ तथा भारत ने 11 /12 /1992 में उस पर हस्ताक्षर किया तब इसका मुख्य उद्देश्य समानता एवं भेदभाव रहित तथा बच्चों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेना था ।अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे ने बच्चों में सहजता एवं सरलता से मुस्कान लाने की बात कहीं। प्राचार्य डॉ योगेश शिवहरे ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कि छात्राध्यापकों को एक अच्छा शिक्षक बनने से पहले अच्छा इंसान एवं संवेदनशील इंसान बनने की बात कही,तथा यह महाविद्यालय इस दिशा में सतत् कार्य करता है।