शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी टी ई )रायपुर के सभागार में दिनांक 1/10/18 गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर गांधी-एक यात्रा नाटक का मंचन किया गया जिसमें बी .एड और एम. एड के छात्राध्यापको ने विभिन्न भूमिकाओं का निवर्हन किया।मंचित दृश्यों में प्रमुख थे-बालक मोहन का अंधेरे में डर जाना,हरिश्चंद्र के नाटक से प्ररित होकर आजीवन सत्य की राह चुनना ,प्रथम श्रेणी में रेल यात्रा और दांडी यात्रा कर नमक कानून को तोड़ना ।उक्त मंचन के साथ ही गांधी जी के प्रिय भजनो का गायन और वादन भी किया गया।
इस अभूतपूर्व प्रस्तुति में मोहन दास की भूमिका बीरबल सोनकर और कस्तूरबा की भूमिका स्नेहप्रभा शर्मा ने निभाई ।
उक्त कार्यक्रम का निर्देशन संजय एक्का ने और संयोजन महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका श्रीमती सीमा अग्रवाल ने किया
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी .टी. ई) रायपुर में दिनांक 14 सितम्बर 2018 को नए तरीके से हिंदी दिवस मनाया गया । बी.एड एवं एम .एड के छात्राध्यापको के लिए भारतीयों में मैं हिंदी अर्थात मेहंदी जैसी रची बसी हिंदी भाषा की महत्ता को दिखाने हेतु मेहंदी प्रतियोगिता आयोजित की गई।
हिंदी की परिपक्वता और इतिहास पर संस्था के शिक्षको ने बारी बारी से अपने विचार प्रस्तुत किये ।साथ ही
छात्रध्यापकों द्वारा स्वरचित हिंदी कविता और श्लोकों की प्रस्तुति दी गई।
उक्त कार्यक्रम की समन्वयक एवं मार्गदर्शक श्रीमती डॉ .सीमा अग्रवाल( सहा.प्राध्यापक) रही एवं मंच संचालन एम.एड के छात्राध्यापको वर्षा रानी गुप्ता और संजय एक्का के द्वारा किया गया। बोलचाल में हिंदी भाषा के कम इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए सभी छात्रों को संवाद एवं वार्तालाप हेतु हिंदी का ही इस्तेमाल करने निर्देशित किया गया जिसके चलते एक दिन में ही हिंदी के कई नवीन शब्द छात्राध्यापको ने सीखे ।
शिक्षकीय पेशा वाकई महान और अतुलनीय है इसी दृष्टिकोण से
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी .टी .ई )रायपुर के सभागार में आज 5 सितंबर 2018 को शिक्षक दिवस पूर्ण उत्साह के साथ मनाया गया जिसमें छात्रधायापको द्वारा अपने प्राध्यापकों को श्रीफल और लेखनी भेंट में देते हुए उनके सम्मान में स्वागत नृत्य, गायन,(हिंदी /अंग्रेज़ी)कविता पाठ किया गया । साथ ही संस्था में कार्यरत सहायक प्राध्यापकों की व्यक्तिगत प्रोफाइल का प्रदर्शन पी. पी .टी के माध्यम से किया गया जिसमें उनकी सेवा अवधि का प्रारंभ ,विभिन्न पदभारो और अपने शिक्षकीय जीवन मे उनके द्वारा किये गए अभिन्न कार्य का प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया।
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी. टी. ई )रायपुर
में महिला समानता दिवस के अवसर (जो कि 26 अगस्त को है)पर आज दिनांक 25.8.18 को पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता और संगोष्ठी का आयोजन किया गया|
संगोष्ठी के निम्नांकित विषय थे
1.भारत के आर्थिक विकास में महिलाओं की भागीदारी
2.परिवर्तनशील समाज मे महिलाओ की भूमिका में परिवर्तन
3.शिक्षा और साहित्य के विकास में महिलाओं की सहभागिता
4.राजनीतिक शुचिता बनाये रखने में महिलाओं का योगदान
5.महिला समानता एक समाजार्थिक मुद्दा
6.महिला समानता बनाम महिला स्वतंत्रता
7.महिला समानता हेतु महिला आरक्षण की अनिवार्यता
उक्त थीमों पर छात्राध्यापको ने बेबाकी से अपने विचार प्रस्तुत किये|
पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल द्वारा श्रीमती पूनम मिश्रा को प्रथम
हितेंद्र पांडेय को द्वितीय और कुमारी फरहीन सिद्दीक़ी को तृतीय स्थान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के अंत मे संस्था के सहायक प्राध्यापक डॉ. डी. के. बोदले जी ने कहा कि आखिर असमानता है तभी समानता का प्रश्न उठता है और वो कहाँ और किस स्तर पर है इस पर चिंतन करने की ज़रूरत है ।साथ ही उन्होंने सबसे पहले अपने घर की माँ ,बहन और बेटियों को शिक्षित कर उन्हें सशक्त बनाने की बात कही
इस कार्यक्रम का समन्वयन श्रीमती मधु दानी के द्वारा किया गया।
हमेशा की भांति शिक्षक प्रशिक्षण में सतत नवाचार पर ज़ोर देने के उद्देश्य से दिनांक 4/8/18 को शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (सी .टी. ई)रायपुर के सभागार में जे .कृष्णमूर्ति द्वारा लिखित पुस्तक शिक्षा क्या है के कंटेंट का मंचन एम .एड प्रथम वर्ष के छात्राध्यापको द्वारा किया गया|
शिक्षा में भय,तुलना और असुरक्षा की भावना को कभी भी स्वीकार नही किया जा सकता ये बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी कल थीं; इसको दिखाने के उद्देश्य से ये नवाचार किया गया जिसमें छात्राध्यापको ने ही शिक्षाविद,मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्री,सामाजिक कार्यकर्ता और प्रयोजन अधिकारी की भूमिका निभाई
उक्त मंचन को एक गरिमामय परिचर्चा के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसका निर्देशन ,संवाद लेखन और तकनीकी कार्य सभी को स्वयं छात्राध्यापको ने अंजाम दिया और पूरे सभागार को एक लाइव परिचर्चा का जीवंत रूप दे दिया।
परिचर्चा के अंत मे महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ डी .एन. पाणिग्रही ने छात्राध्यापको के इस प्रयास की काफी सराहना की और डॉ डी .के .बोदले ने शिक्षा को आज के परिद्श्य में समझने और इस पर चिंतन कर पुनः परिभाषित करने की बात कही