आज दिनांक 26/04/2022 को शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय शंकर नगर रायपुर में रक्तदान जागरूकता एवं एड्स से बचाव हेतू कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला में बी.एड/एम.एड समस्त के छात्राध्यापक, कार्यशाला के संरक्षक श्रीमती जे. एक्का, प्राचार्य शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय रायपुर, कार्यशाला के समन्वयक डॉ. लता मिश्रा तथा श्रीमती योगेश्वरी महाडिक एवं अन्य फेकल्टी सदस्य उपस्थित थे।
कार्यशाला में रक्तदान जागरूकता एवं एड्स से बचाव हेतु जानकारी देने के लिए डॉ. शाबीर खान, मेकाहारा हॉस्पीटल से आये थे। डॉ. खान ने जानकारी दी कि कौन-कौन रक्तदान कर सकते है और किसे रक्तदान नहीं करना चाहिए। रक्तदान देने से होने वाले फायदे की भी जानकारी दी। उक्त कार्यशाला का सकारात्मक प्रभाव महाविद्यालय में देखा गया।
कार्यशाला के अंत में कार्यश्शाला के समन्वयक डॉ. लता मिश्रा के द्वारा डॉ. शाबीर खान जी का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। सभी छात्राध्यापकों ने तालियों से उनका धन्यवाद किया। श्रीमती योगेश्वरी महाडिक ने उन्हें धन्यवाद स्वरूप उपहार दिया।
शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय बी.एड.,एम.एड. के गुणवत्तायुक्त प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में बहुमुखी कार्यक्रम को लागू करने हेतु हमेशा से प्रयासरत रहा है। इन प्रयासों में - साझा पहल, बालिका शिक्षा, तृतीय लिंग समुदाय हेतु संवेदनशीलता पर प्रशिक्षण, लर्निंग कैम्प, जनपहल सूक्ष्म नियोजन तथा शैक्षिक वातावरण का चतुर्मुखी उन्नयन, इत्यादि प्रमुख हैं।
उपरोक्त सभी प्रयासों का एक ही मूल लक्ष्य है शिक्षा में गुणवत्ता। शैक्षिक गुणवत्ता के इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की प्राप्ति के महत्वपूर्ण एवं प्रमुखतम दायित्व को भली-भांति अनुभव करते हुए महाविद्यालय ने उक्त सभी क्षेत्रों में समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों को सुनियोजित किया और पूरी शक्ति से उसकी सफलता को सुनिश्चत करने का प्रयास किया। 1996 में यूनेस्को को प्रस्तुत डेलर कमीशन की रिपोर्ट में तर्क प्रस्तुत किया गया था कि जीवन भर की शिक्षा चार स्तम्भों पर आधारित है :-
1. जानने के लिए सीखना-यह सीखना कि सीखते कैसे हैं, ताकि जिन्दगी भर शिक्षा द्वारा मिलने वाले अवसरों का लाभ उठाया जा सके ।
2. करने के लिए सीखना - न केवल व्यावसायिक कौशल प्राप्त करना बल्कि नई परिस्थितियों और व्यावहारिक जीवन की विभिन्न चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनने के लिए सीखना ।
3. साथ रहने के लिए सीखना - अन्य लोगों की समझ विकसित करना और अनेकतावाद के मूल्यों को समझने के लिए सीखना ।
4. होने के लिए सीखना- किसी के व्यक्तित्व को विकसीत करना और स्वायत्तता तथा व्यक्तिगत जिम्मेदारी के साथ कार्य करने में सक्षम होने के लिये सीखना।
जिस तरह प्रत्येक मानव अपने जीवन में सफल होना चाहता है उसी तरह एक शिक्षक भी अपनी कक्षा के शत प्रतिशत बच्चों को सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सम्मिलित करने हेतु निरंतर प्रयास करता रहता है। यह संदर्शिका उसी लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु तैयार की गई है । यही कारण है कि इस संदर्शिका का नाम ’लक्ष्य-वेध’ रखा गया है।
संदर्शिका में कक्षा - कक्ष के भीतर सिखाने के तरीकों में व्यापक परिवर्तन हेतु 6 शैक्षिक तरीके (बिना किसी खर्च के कक्षा में किये जा सकने वाले) दिए गये है। इन 6 शैक्षिक प्रक्रियाओं को अपना कर शत प्रतिशत बच्चों को सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से जोड़ने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इन 6 तरीकों पर शिक्षकों का एक दिवसीय प्रशिक्षण करने हेतु यह ’लक्ष्य-वेध’ संदर्शिका तैयार की गई है।
छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा आयोग के मार्गदर्शन में शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर के समन्वय द्वारा शैक्षिक मड़ई 2022 का आयोजन विकास खण्ड प्रतापपुर, जिला सुरजपुर में होना सुनिश्चित किया गया। इसके क्रियान्वयन हेतु शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर के छात्राध्यापकों को प्रशिक्षित किया गया जिसमें प्रशिक्षक श्री तारकेश्वर देवांगन और श्रीमती प्रीति जैन थे। प्रशिक्षण शिविर का आयोजन दिनांक 7 मार्च 2022 से शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर में आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य -
1. वन स्टॉल वन कांसेप्ट।
2. क्रियाकलाप द्वारा खुद करके सीखना।
3. मनोरंजन के साथ सीखना।
4. तनाव मुक्त वातावरण में सीखना।
5. सीखना कैसे है यह सीखना।
6. सीखने की शुरूआत करना सीखना।
7. सीखने के प्रमुख प्रकार
8. शैक्षिक वातावरण का निर्माण।
9. खेल - खेल में शिक्षा को प्रोत्साहन देना आदि प्रायोजित था।
प्रशिक्षण शिविर दिनांक 7 मार्च से 18 मार्च तक चली जिसमें कुल 69 छात्राध्यापक थे। निर्मित सामग्री के अवलोकन हेतु डी. एड. छात्राध्यापक एवं शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर में समस्त आकादमिक सदस्य (विषय विशेषज्ञ) दिनांक 21 मार्च 2022 को उपस्थित हुए। अवलोकन उपरांत दिनांक 22, 23 मार्च को आवश्यकता अनुसार सुधार किया गया।
शैक्षिक मड़ाई के लिए कुल 9 विषयों के कठिन अवधारणाओं के 40 स्टॉल बनाये गये। लगभग 7 डण्म्कण् के भुतपूर्व छात्राध्यापकों ने सहयोगिता निभाई। शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर के प्राचार्य श्रीमती जे. एक्का, कार्यक्रम समन्वयक श्रीमती योगेश्वरी महाडिक, आकादमिक मार्गदर्शक एवं सहयोग डॉ. डी. के. बोदले, डॉ. लता मिश्रा उपस्थित थे। 25 मार्च 2022 को सभी स्टॉलों को आयोजन स्थल पर सुव्यवस्थित किया गया।
26 मार्च 2022 को शैक्षिक मड़ई का शुभारंभ माननीय डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम जी ने सरस्वती पूजन एवं शैक्षिक मड़ई पूजन के व्दारा किया गया। इस अवसर पर मुख्यातिथि डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम (अध्यक्ष छ.ग. राज्य शिक्षा आयोग, शिक्षा मंत्री छ.ग. शासन), डॉ. ओ.पी. मिश्रा (सचिव, छ.ग. राज्य शिक्षा आयोग), श्रीमती जे. एक्का (प्राचार्य शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर), कार्यक्रम समन्वयक श्रीमती योगेश्वरी महाडिक एवं डॉ. डी. के. बोदले, डॉ लता मिश्रा, श्री कुमार सिंह देव(मंत्री प्रतिनिधि), श्री अनिल गुप्ता (विधायक प्रतिनिधि), श्री एम. एस. धुर्वे (बी.ई.ओ.), श्री साइमन तिर्की (ए.बी.ई.ओ.) अन्य अतिथि एवं शहर के अन्य गणमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे। ठण्म्कण् छात्राध्यापकों व्दारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रस्तुतीकरण किया गया। तत्पश्चात स्टॉल का अवलोकन किया गया। साथ ही विकासखण्ड के स्कूली बच्चों एवं शिक्षकों व्दारा स्टॉलों का अवलोकन करते हुए एवं गतिविधियों के माध्यम से अवधारणाओं को स्वयं करके सीखने में सफल तथा प्रोत्साहित हुए। कार्यक्रम के दौरान छात्राध्यापकों को अधिकारियों एवं शिक्षकों व्दारा प्रोत्साहन एवं स्कूली बच्चों व्दारा प्यार मिलता था। श्री जागेश्वर साहू और श्री सुमित पांडे के द्वारा कैरियर गाईडेन्स एवं पर्सनालिटी डेवलपमेंट के प्रति छात्रों को जागरूक किया गया।
27 मार्च 2022 को छ०ग० शिक्षा आयोग के अध्यक्ष तथा शिक्षा मंत्री, माननीय डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम जी पुनः अपना बहुमुल्य समय शैक्षिक मड़ई में दिये। सभी स्टॉलों को बारीकी से अवलोकन किया। व्दितीय दिवस पर भी छात्राध्यापकों ने शिक्षा प्रद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जिसे अतिथियों व्दारा सराहा गया।
28 मार्च 2022 को शैक्षिक मड़ई के अंतिम दिन डॉ लता मिश्रा और डॉ रचना दूबे ने बच्चों को नैतिक शिक्षा दी। एक्यूप्रेशर के विषेशज्ञ व्दारा बताया गया कि हम कैसे रोगों एवं बिमारियों से मुक्त हो सकते हैं। इसके बारे में अपने अनुभवों को साझा किया। सरगुजा के कमीश्नर श्री जी. आर. सुरेन्द्र जी ने स्टॉल का अवलोकन करके छात्राध्यापकों एवं बच्चों को प्रोत्साहित किया। मान. डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम जी के सानिध्य में शैक्षिक मड़ई का समापन समारोह प्रारंभ हुआ। रंगमंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। इसके बाद शैक्षिक मड़ई में कुछ अधिकारियों, शिक्षकों एवं छात्राध्यापकों को सहभागिता प्रमाण पत्र दिया गया। साथ ही विभिन्न शालाओं से आये हुए शिक्षकों, छात्रों, पालकों एवं बी. एड. छात्राध्यापकों के व्दारा फीडबैक दिया गया। माननीय डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम जी को एवं अन्य अधिकारियों को स्मृति चिन्ह भेंट की गई और शैक्षिक मड़ई 2022 का समापन की घोषणा की गई।
शैक्षिक मड़ई मे पधारे विद्यार्थी, शिक्षक एवं समुदाय की अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया रही। भविष्य में भी इस तरह के आयोजन से सभी के समन्वय से बेहतर शैक्षिक वातावरण के निर्माण में सहायक होगें।
शिक्षक शिक्षा व्यवस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। व्यवस्था, गुणवत्ता को प्रभावित करती है, जिसमें अकादमिक के साथ व्यावसायिक योग्यता, कुशलता भी जरूरी है जो समय के अनुभव के साथ क्रमशः व्यावहारिक सोपान गढ़ते हैं और तभी कुशल, सभ्य एवं सुसंस्कृत नागरिकों का समाज बना सकते हैं। मात्र यही साधना हमारा अप्रतिम उत्तरदायित्व है। महाविद्यालय में छात्राध्यापकों के सृजनात्मक ज्ञान का विकास करना महाविद्यालय का मुख्य उद्देश्य है। महाविद्यालय में छात्राध्यापक अलग-अलग परिवेश से आते हैं इनकी योग्यताओं और कौशलों में काफी विविधता रहती है। प्राध्यापकगण छात्राध्यापकों में निखार लाकर यह प्रयास करते हैं कि वे एक उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में तब्दील हो सकें। उपरोक्त उद्वेश्य को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। महाविद्यालय में हर वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । इस वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ दिनांक 05 मार्च 2020 से 06 मार्च 2020 को सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम महाविद्यालय में का उदघाटन मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री माननीय श्री डॉं प्रेमसाय सिह जी के कर कमलों से एवं संचालक श्री जितेन्द्र शुक्ला जी. एस.सी.ई.आर.टी.की उपस्थिती में हुआ।
कार्यक्रम का सफल संचालन प्राचार्य श्रीमती जे एक्का के सरंक्षण एवं कुशल मार्ग दर्शन में सांस्कृतिक समन्वयक श्रीमती लता मिश्रा द्वारा समस्त अकादमिक सदस्यो के सहयोग से सम्पन्न किया गया। इसमंे विभिन्न विधाओ में व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंर्तगत एकल गान, एकल नृत्य, युगल गान, समूह अभिनय, एकांकी, प्रहसन आदि का प्रदर्शन किया गया।
जिसमें सदनवार श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षणार्थियों का चयन किया जाता है। जिसमें सर्वोत्तम पुरूष कलाकार का पुरस्कार, सर्वोत्तम महिला कलाकार का पुरस्कार, सर्वोत्तम पुरूष सह-कलाकार का पुरस्कार, सर्वोत्तम महिला सह-कलाकार का पुरस्कार प्रथम, द्वितीय, तृतीय, को अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान जाता है ,जिससे प्रशिक्षणार्थियों में अंर्तनिहित सांस्कृतिक क्षमता को प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है तथा सामूहिक प्रदर्शन से एक दूसरे से सांस्कृतिक कला की बारी कियों को सीखने एवं समझने का अवसर प्राप्त होता है। इस तरह के कार्यक्रमों से प्राध्यापकों एवं प्रशिक्षणार्थियों के मध्य मैतीपूर्ण संबंध स्थापित होते है जिससे सीखने सिखाने की प्रक्रिया में सकारात्मक प्रभाव परिलक्षित होता है। महाविद्यालय का वातावरण जीवंन एवं खुशनुमा हो जाता हजिसका एकीकृत परिणाम इस प्रकार है-
(सांस्कृतिक समन्वयक)
श्रीमती लता मिश्रा
शुक्रवार, 21 जून को शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय रायपुर में पाँचवा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। योग है अनुशासन, समर्पण। इसका पालन केवल एक दिन नहीं अपितु जीवन भर करना चाहिए। योग के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। यह हमारे तन ही नहीं वरन् मन और जीवन को भी स्वस्थ बनाता है। यह हमारी पुरातन भारतीय दर्शन का आधार भी है।
21 जून वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है। और योग भी मानव को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। इस दीर्घ जीवन में यदि मन, शरीर और बुद्धि का सामंजस्य हो जाए तो मनुष्य को उत्तम और खुशहाल जीवन प्राप्त होता हैं।
योग दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर योगाचार्य श्री दीपक पटनायक उपस्थित रहे। जिन्होंने अर्धचंद्रासन, भुजंगासन, मकरासन, सहित कई प्रकार के आसनों को कराया, उनका महत्व बतलाया। अंत में प्राचार्य महोदय सहित पूरे महाविद्यालय परिवार जिसमें हमारे बी.एड. और एम.एड. के छात्राध्यापक भी शामिल रहे, सभी ने योग को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की शपथ ली।